साइबर सिटी कहलाने वाले गुरुग्राम में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। जिले का एकमात्र नागरिक अस्पताल आज बेड की भारी कमी से जूझ रहा है। हालत ये है कि मरीजों को अब बेसमेंट में बनाए गए डेंगू और सामान्य वार्डों में भर्ती किया जा रहा है।

रोज़ाना 2400 मरीज, लेकिन नहीं हैं पर्याप्त बेड
हर दिन अस्पताल की ओपीडी में करीब 2300 से 2400 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से 100 से ज्यादा मरीजों की हालत गंभीर होती है। अस्पताल में पहले से ही 200 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी से नए मरीजों को जगह तक नहीं मिल पा रही।
गायनी वार्ड, हार्ट यूनिट, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और सर्जरी जैसे विभागों पर पहले ही बोझ बढ़ा हुआ है। बेड न होने के कारण मरीज घंटों इंतज़ार करने को मजबूर हैं।
100 बेड की नई बिल्डिंग का सपना अधूरा
हालात सुधारने के लिए 2018 में 100 बेड की एक नई बिल्डिंग बनाने की मंज़ूरी मिली थी। इसका निर्माण 90 करोड़ रुपये की लागत से 2024 तक पूरा होना था। लेकिन सरकार बदलने, DPR में बदलाव और बजट की कमी ने इस प्रोजेक्ट की रफ्तार थाम दी।
2019 में पहले फेज़ के लिए 47 करोड़ रुपये मिले, जिससे 60% काम पूरा हो गया। लेकिन बाकी के 43 करोड़ रुपये 2024 तक नहीं मिल पाए, और अब काम पूरी तरह से ठप पड़ा है।
ICU और AC सुविधा भी अधर में लटकी
नई बिल्डिंग में पांचवीं मंज़िल पर 32 बेड का ICU और सेंट्रलाइज्ड एसी सिस्टम प्रस्तावित है। इसके लिए एक नया 47 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर दोबारा भेजा गया है। लागत पहले से 4 करोड़ रुपये और बढ़ चुकी है। लेकिन अभी तक फाइलें सिर्फ ऑफिसों में घूम रही हैं।