
गुरुग्राम। शहर में सफाई व्यवस्था पर एक बड़ा संकट मंडरा रहा है। तीन लाख से अधिक घरों से रोजाना उठने वाला कूड़ा अब सड़कों पर जमा हो सकता है क्योंकि घर-घर से कूड़ा उठाने वाली एजेंसी “बिमलराज आउटसोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड” का टेंडर 18 जून को समाप्त हो रहा है, और नगर निगम ने अब तक नई व्यवस्था नहीं की है।
टेंडर प्रक्रिया अधर में, वैकल्पिक योजना अधूरी
नगर निगम गुरुग्राम द्वारा शहरी स्थानीय निकाय विभाग को नया टेंडर प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इससे स्थिति और गंभीर हो गई है। निगम ने अस्थायी व्यवस्था करने की योजना तो बनाई है, लेकिन 14 दिन के भीतर इतनी बड़ी व्यवस्था खड़ी करना संभव नहीं है।
क्या है मौजूदा व्यवस्था?
वर्तमान में बिमलराज आउटसोर्सिंग एजेंसी कूड़ा एकत्र कर सेकेंडरी कलेक्शन प्वाइंट्स तक पहुंचाती है, जहां से कूड़ा बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर भेजा जाता है। यदि यह चेन टूटती है, तो गुरुग्राम की सड़कों के किनारे कूड़े के ढेर लगना तय है।
विभाग की चेतावनी भी नजरअंदाज
शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने 7 अप्रैल को सभी नगर निकायों को निर्देश दिए थे कि मौजूदा टेंडर की समाप्ति से कम से कम तीन महीने पहले नई एजेंसी की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए, लेकिन इसके बावजूद मानेसर नगर निगम को कारण बताओ नोटिस जारी करना पड़ा है क्योंकि वहां भी प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई।
आंकड़ों में गुरुग्राम और आसपास की कूड़ा स्थिति
- गुरुग्राम: प्रतिदिन निकलता है 1200 टन कूड़ा
- मानेसर: प्रतिदिन निकलता है 250 टन से अधिक कूड़ा
- फरीदाबाद: भेज रहा है 900 से 1000 टन कूड़ा बंधवाड़ी
- बंधवाड़ी लैंडफिल: प्रतिदिन 3000 से 4000 टन कूड़े का निस्तारण
गुरुग्राम में कूड़ा संग्रहण और निस्तारण के लिए 10 से अधिक एजेंसियां काम कर रही हैं जबकि मानेसर में फिलहाल सिर्फ दो एजेंसियों को तीन-तीन माह के लिए जिम्मेदारी दी गई है, जिनके पास संसाधनों की भारी कमी है।
जल्द समाधान नहीं हुआ तो बिगड़ सकती है सफाई व्यवस्था
यदि जल्द ही स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो गुरुग्राम जैसे विकसित शहर की सड़कों पर कूड़े के ढेर नजर आ सकते हैं। नगर निगम को चाहिए कि वह जल्द से जल्द नई एजेंसी की नियुक्ति करे या वैकल्पिक योजना को क्रियान्वित करे।