केंद्रीय मंत्री एवं गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने मानसून के दौरान शहर में होने वाले जलभराव को लेकर प्रशासन पर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी यदि शहर जलभराव की चपेट में आया, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय है।

“जलभराव से गुरुग्राम की इंटरनेशनल फजीहत”
पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में आयोजित एक समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि गुरुग्राम जैसे वैश्विक शहर में जलभराव की समस्या केवल स्थानीय परेशानी नहीं, बल्कि शहर की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करने वाली बात है।
“हर साल एक जैसी समस्या दोहराई जाती है। अगर पहले से तैयारी हो, तो यह स्थिति रोकी जा सकती है,” – राव इंद्रजीत सिंह
अधिकारियों की जवाबदेही होगी तय
राव इंद्रजीत सिंह ने इस बात पर चिंता जताई कि गुरुग्राम में अधिकारी लंबे समय तक किसी एक पद पर नहीं टिकते, जिससे कार्यों में निरंतरता नहीं रह पाती। उन्होंने कहा कि जवाबदेही तय किए बिना किसी समाधान की उम्मीद नहीं की जा सकती। नए अधिकारियों को छह महीने का समय दिया गया है, जिसके भीतर उन्हें ठोस कार्यप्रगति दिखानी होगी।
जल निकासी पर ठोस कार्य योजना का सुझाव
नालों की नियमित सफाई हो,
जल निकासी प्रणाली का रखरखाव बेहतर हो,
और सभी विभाग समन्वय के साथ कार्य करें।
उन्होंने सुझाव दिया कि गुरुग्राम में जलभराव की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए 10-20 वर्षों की दीर्घकालिक योजना बनाई जानी चाहिए, जिसमें शहरी नियोजन और इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों को ध्यान में रखा जाए।
स्थलीय निरीक्षण भी किया गया
बैठक से पहले राव इंद्रजीत सिंह ने एंबियंस मॉल और सेक्टर 15 पार्ट 2 सहित झाड़सा बंध क्षेत्र का दौरा किया, जहां उन्होंने जल निकासी के प्रबंधों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि अनियोजित शहरीकरण और अपर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम इस संकट की जड़ हैं।