स्यू माजरा को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला करीब 5 किलोमीटर का रास्ता पिछले दो साल से जर्जर हालत में है। 2023 की बाढ़ ने इसे पूरी तरह उजाड़ दिया, जिससे कीचड़ और गड्ढों भरा यह सफर रोज़ का संघर्ष बन गया। ग्रामीणों की तमाम शिकायतों के बावजूद रास्ता नहीं सुधरा। इसी मुश्किल रास्ते से अर्पणदीप रोज़ स्कूल जाता था—बिना शिकायत, बिना रुके। उसका यह जज़्बा उसकी सफलता को और खास बनाता है।

स्कूल में खुशी, गांव में गर्व
अर्पणदीप के टॉपर बनने की खबर फैलते ही स्कूल में जश्न छा गया। प्रिंसिपल चरणजीत कौर ने उसे मिठाई खिलाकर गले लगाया और कहा, “अर्पणदीप मेहनती और अनुशासित है। उसकी कामयाबी शिक्षकों और स्कूल के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।” गांव में भी हर तरफ उसकी तारीफ हो रही है।
माता-पिता की आंखें नम, शिक्षकों का आभार
अर्पणदीप के पिता यादविंद्र सिंह किसान हैं और मां रमनदीप कौर गृहिणी। स्कूल पहुंचकर उन्होंने शिक्षकों का शुक्रिया अदा किया। पिता ने कहा, “बेटा बचपन से पढ़ाई में तेज रहा है। जो पढ़ता है, उसे लंबे समय तक याद रखता है। आज उसकी मेहनत रंग लाई।”
टॉपर की मेहनत और सपने
अर्पणदीप ने बताया, “मैंने पूरे साल स्कूल में पढ़ाए गए पाठ को घर जाकर दोहराया। शिक्षकों ने हमेशा हौसला बढ़ाया।” उसका अगला लक्ष्य चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना है। वह कहता है, “मैं देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहता हूं और इसके लिए मेहनत करता रहूंगा।”
गांव से शुरूआत, स्कूल से उड़ान
अर्पणदीप मूल रूप से अगौंध गांव का रहने वाला है। उसने पहली से छठी कक्षा तक दुसरेपुर के स्वामी विवेकानंद स्कूल में पढ़ाई की और सातवीं से स्यू माजरा के स्कूल में पढ़ रहा है। सीमित संसाधनों वाले इस स्कूल में शिक्षकों का समर्पण ही अर्पणदीप जैसे छात्रों की ताकत है।
गांव के लिए प्रेरणा
अर्पणदीप की कहानी हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में भी हार नहीं मानता। उसने दिखा दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। स्यू माजरा का यह सितारा आज पूरे इलाके का गर्व है।