गुरुग्राम की डीएलएफ निवासी महिला से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर करीब 3 करोड़ रुपये की साइबर ठगी मामले में एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। गुरुग्राम साइबर पुलिस ने शनिवार को गुजरात के तापी जिले से आशीष रमनलाल राणा को गिरफ्तार किया है। आरोपी पेशे से वीजा कंसल्टेंट है और साइबर ठगों को बैंक खाते उपलब्ध कराता था।

कैसे हुई थी 3 करोड़ रुपए की ठगी?
पीड़ित महिला ने पिछले साल 4 दिसंबर को साइबर थाना ईस्ट में शिकायत दर्ज कराई थी।
साइबर अपराधियों ने WhatsApp कॉल कर खुद को सरकारी अधिकारी बताया और कहा कि उसके बेटे के आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है।
इसके बाद महिला को तथाकथित ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर आरोपियों ने जांच के नाम पर उससे कई किश्तों में लगभग 3 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
मनी ट्रेल से आशीष तक पहुंची पुलिस
जांच में खुलासा हुआ कि ठगों द्वारा ऐंठे गए पैसे कई अलग-अलग बैंक खातों में भेजे गए थे, जिनमें से 39 लाख रुपये आशीष के भाई मितेश के खाते में मिले।
साइबर पुलिस इससे पहले मितेश समेत 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। पूछताछ के दौरान मितेश ने आशीष की भूमिका उजागर की, जिसके बाद पुलिस उसे तापी से गिरफ्तार कर गुरुग्राम ले आई।
दुबई में रहकर साइबर सिंडिकेट से जुड़ा था आरोपी
प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि आशीष वर्ष 2021 से दुबई में वीजा कंसल्टेंट के रूप में काम कर रहा था।
मई 2025 में भारत लौटने से पहले ही वह एक साइबर सिंडिकेट के संपर्क में आ गया था।
आरोपी ने अपने भाई और अन्य लोगों के माध्यम से बैंक खाते इकट्ठे कर उन्हें ठगों को बेचने का कारोबार शुरू कर दिया था।
12.80 लाख में बेचे गए थे बैंक खाते
जांच में पता चला कि मितेश ने बैंक खातों को 12 लाख 80 हजार रुपये में बेचा था।
आरोपी आशीष इन खातों को साइबर ठगों तक पहुंचाने की कड़ी था।
दो दिन की पुलिस रिमांड
एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दीवान ने बताया कि आशीष को अदालत में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है।
अब पुलिस उससे पूरे सिंडिकेट, फंड रूट और अन्य सहयोगियों की जानकारी जुटा रही है।
