गुरुग्राम के दो बड़े हाईवे—द्वारका एक्सप्रेसवे और केएमपी एक्सप्रेसवे—अब जल्द ही अपने बदलते रूप से लोगों को चौंकाने वाले हैं। जहां अब तक धूल और सूखी ज़मीन नज़र आती थी, वहां कुछ ही महीनों में हरी पट्टी फैलने वाली है।
यह बदलाव लेकर आ रहा है GMDA का नया पाइपलाइन प्रोजेक्ट, जो मानेसर स्थित CETP से सीधे एक्सप्रेसवे किनारों तक शोधित पानी पहुंचाएगा।

अंतिम दौर में पाइपलाइन प्रोजेक्ट, 95% काम पूरा
GMDA अधिकारियों के अनुसार, पाइपलाइन बिछाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। 95 प्रतिशत निर्माण पूरा है और इसे 31 दिसंबर के बाद चालू करने का लक्ष्य रखा गया है। पाइपलाइन शुरू होते ही एक्सप्रेसवे के लंबे-चौड़े हिस्सों में सिंचाई की दिक्कत खत्म हो जाएगी।
55 MLD शोधित पानी—अब हरियाली के नाम
मानेसर का 55 MLD CETP रोजाना करोड़ों लीटर औद्योगिक अपशिष्ट जल को शोधित करता है।
पहले इस पानी का उपयोग सीमित था, लेकिन अब GMDA इसे ग्रीन कॉरिडोर बनाने में इस्तेमाल करेगा।
यह पानी अब इस्तेमाल होगा—
- ग्रीन बेल्ट
- एक्सप्रेसवे किनारों
- पार्कों
- पौधारोपण स्थलों
की सिंचाई के लिए। नतीजा—हरियाली बढ़ेगी, और भूजल दोहन कम होगा।
1.34 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही मुख्य पाइपलाइन
मुख्य पाइपलाइन पर लगभग 1.34 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
एसई प्रवीण कुमार का कहना है कि प्रोजेक्ट की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए काम तेज किया गया है, ताकि पानी की सप्लाई जल्द शुरू हो सके।
द्वारका एक्सप्रेसवे पर अलग नेटवर्क—14.90 करोड़ की योजना
GMDA केवल मुख्य लाइन ही नहीं बना रहा, बल्कि द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए एक अलग सेक्टर-वार पाइपलाइन नेटवर्क भी तैयार होगा।इस पर 14.90 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह नेटवर्क उन स्थानों तक पानी पहुंचाएगा जहाँ बड़े पैमाने पर लैंडस्केपिंग और नई ग्रीन बेल्ट विकसित की जानी है। इसके लिए एजेंसी का चयन इसी महीने किया जाएगा।
