दिल्ली-जयपुर हाईवे (एनएच-48) पर लगातार बढ़ते सड़क हादसों ने ट्रैफिक पुलिस को अलर्ट कर दिया है। शुक्रवार देर रात एग्जिट-9 के पास हुए भीषण हादसे में पांच दोस्तों की दर्दनाक मौत के बाद गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस ने हाईवे का सर्वे कराया। इस सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि 43 किलोमीटर लंबे इस हाईवे पर 45 ऐसे ब्लैक स्पॉट (खतरनाक स्थान) हैं जहां हादसों की संभावना सबसे अधिक है।

हादसे के बाद तुरंत कार्रवाई
ट्रैफिक पुलिस ने एग्जिट नंबर-9 के पास बने डिवाइडर पर तुरंत हैजर्ड मार्कर लगा दिए हैं ताकि रात के समय वाहन चालकों को खतरे का अंदाजा हो सके। इसके साथ ही सभी 45 स्पॉट्स पर जल्द ही रिफ्लेक्टर, रंबल स्ट्रिप्स, साइनेज और स्पष्ट स्पीड लिमिट बोर्ड लगाए जाएंगे।
डीसीपी ट्रैफिक डॉ. राजेश मोहन ने बताया कि –
सर्वे में हाईवे के 45 खतरनाक स्थान चिन्हित किए गए हैं। वहां सुरक्षा के लिए खतरा चिह्न और अन्य सुधार कार्य कराए जाएंगे। ड्राइवरों से अपील है कि वे स्पीड लिमिट का पालन करें और लेन अनुशासन बनाए रखें।

किन स्थानों पर सबसे ज्यादा खतरा?
ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, कई जगह डिवाइडर पर रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं और रात में दृश्यता की कमी के कारण हादसे होते हैं। हाईवे पर जिन जगहों को सबसे खतरनाक माना गया है उनमें शामिल हैं:
- खेड़की दौला टोल प्लाजा
- खांडसा अंडरपास (भूमिगत पैदल पार पथ)
- द्वारका एक्सप्रेसवे का क्लोवरलीफ
- झाड़सा अंडरपास
- हीरो होंडा चौक अंडरपास
- राजीव चौक
गलत लेन चलने वालों पर बड़ी कार्रवाई
हादसों को कम करने के लिए ट्रैफिक पुलिस लगातार सख्ती बरत रही है। जनवरी से 28 सितंबर तक 47,277 वाहन चालकों पर गलत लेन में गाड़ी चलाने के आरोप में कार्रवाई की गई है। हाईवे पर अब ड्रोन और कैमरों की मदद से भी चालान काटे जा रहे हैं।
हादसों के मुख्य कारण
सर्वे और विश्लेषण में चार प्रमुख वजहें सामने आई हैं:
- ओवरस्पीडिंग
- लेन बदलने की आदत
- सर्विस लेन पर गलत दिशा में वाहन चलाना
- प्रतिबंधित वाहनों का हाईवे पर प्रवेश
आठ माह का डरावना आंकड़ा
केवल आठ महीनों (जनवरी से अगस्त) में हाईवे पर 153 हादसे हुए, जिनमें 79 लोगों की मौत हो गई और 111 लोग घायल हुए। जुलाई में सबसे अधिक 22 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।
