हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह ने सोमवार को गुरुग्राम के साइबर क्राइम थाना (ईस्ट) का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने खुद फरियादी बनकर थाने का दौरा किया और थाने में चल रहे मामलों की स्थिति का जायजा लिया.
डीजीपी ओपी सिंह अपनी प्राइवेट कार से थाने पहुंचे और अपनी पहचान छिपाते हुए सीधे ड्यूटी ऑफिसर से मिलने का अनुरोध किया। गेट पर तैनात सिपाही उन्हें सामान्य शिकायतकर्ता समझकर सेकेंड फ्लोर, कमरा नंबर 24 में भेज दिया। इसके बाद डीजीपी ने हिंडन कैमरा ऑन कर पैदल कमरे की ओर बढ़ते हुए निरीक्षण शुरू किया।
थाने में उनके आगमन की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी दौड़ पड़े। जैसे ही डीजीपी की पहचान हुई, पुलिस कमिश्नर, DCP (साउथ), ACP (साइबर), SHO साइबर और डिप्टी एडवाइजर मौके पर पहुंचे।

डीजीपी ने बैठक में साइबर मामलों को लेकर दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट, फेक कॉल्स और बैंक फ्रॉड से जुड़े मामलों पर गहन चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर बैंक KYC और ड्यू डिलिजेंस में लापरवाही करता है तो साइबर फ्रॉड का पूरा नुकसान बैंक को ही वहन करना होगा।
छोटे अमाउंट वाले फ्रीज केस में अब FIR दर्ज करना जरूरी नहीं होगा। जांच अधिकारी सीधे लोक अदालत के माध्यम से पीड़ित को पैसा वापस दिलाएंगे, जिससे हजारों मामलों का तेजी से निपटारा होगा।
युवाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए डीजीपी ने गुरुग्राम के स्कूलों के हेड बॉयज और हेड गर्ल्स के सहयोग से ‘SpikeMake’ नेटवर्क बनाने की योजना की घोषणा की। ये बच्चे शहर में साइबर क्राइम और ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे।
बैठक में फीडबैक लिया गया, जिसमें सामने आया कि लोक अदालत में ट्रैफिक चालान और छोटे-मोटे साइबर केस का रिकॉर्ड महीनों तक नहीं पहुंच पाता। इस पर पुलिस कमिश्नर को तुरंत स्थायी समाधान निकालने के निर्देश दिए गए।
इसके अलावा हरियाणा के आईजी (साइबर) को हर सप्ताह कम से कम एक साइबर थाना विजिट करने और वहां के तीन सबसे बड़े मामलों का मौके पर निदान करने के लिए सख्त हिदायत दी गई।
डीजीपी ने कहा
साइबर क्राइम आज सबसे तेजी से बढ़ता अपराध है। इसमें पुलिस अकेले नहीं लड़ सकती। बैंक, स्कूल, बच्चे और आम नागरिक सभी को साथ आना होगा। आज के फैसले उसी दिशा में ठोस कदम हैं।
