केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम में जलभराव की समस्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कांग्रेस की पिछली नीतियों को इस हालात का असली जिम्मेदार ठहराया।

राव इंद्रजीत ने कहा कि पिछले बीस सालों में गुरुग्राम ने तरक्की तो की है, लेकिन कांग्रेस सरकार ने आंखें मूंदकर डेवलपर्स को लाइसेंस बांटे और नाले-पानी के रास्तों तक की जमीन बेच डाली। झाड़सा जैसे बांध, नदी-नालों पर भी एंक्रोचमेंट कर दिया गया। आज उसी का खामियाजा गुरुग्राम भुगत रहा है।
उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा—
- “कांग्रेस ने डेवलपर्स को खुली छूट दी।”
- “बिना सोचे-समझे लाइसेंस बांटना कांग्रेस की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण नीति रही।”
- “हर साल पैसा खर्च करने से समाधान नहीं मिलेगा, पुराने नालों की फिर से मरम्मत करना होगा।”
राव इंद्रजीत ने सुझाव दिया कि जलभराव की समस्या का हल सिर्फ इंजीनियरिंग सोच से ही निकलेगा। इसके लिए IIT और बड़े इंजीनियरों से मदद लेनी होगी, क्योंकि सिर्फ अधिकारियों और ब्यूरोक्रेसी की सोच से यह काम संभव नहीं। उन्होंने कहा, “जब मेट्रो के लिए 15-20 फीट के पोल बन सकते हैं, तो 2-3 फीट चौड़े नाले क्यों नहीं?”
जीएमडीए को लेकर भी उठाए सवाल
राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि 2007 से वे इसकी मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने नहीं सुनी। 2008 में नगर निगम बना दिया गया, लेकिन उससे कामयाबी नहीं मिली।
भाजपा सरकार ने जीएमडीए तो बना दी, लेकिन आज भी यह “एक म्यान में दो तलवार” की तरह है, इसलिए काम नहीं बन पा रहा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा—
- “फाइलें चंडीगढ़ जाती हैं, अफसर बदल जाते हैं, और काम अधूरा रह जाता है।”
- “अगर विभाग आपस में लड़ते रहेंगे तो विकास कार्य पूरे नहीं होंगे।”
- “गुड़गांव डेवलपमेंट अथॉरिटी को नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी की तर्ज पर बनाया जाए।”
उन्होंने हरियाणा सरकार से अपील की कि इस पर गंभीरता से विचार कर गुरुग्राम की समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए।
