साइबर सिटी गुरुग्राम में कूड़ा प्रबंधन की स्थिति बेकाबू होती जा रही है। शहर की सड़कों, चौराहों और रिहायशी इलाकों में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। दुर्गंध और गंदगी से आमजन बेहाल हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से कोई ठोस समाधान नज़र नहीं आ रहा।

नगर निगम को हर दिन 500 से अधिक कूड़ा संबंधित शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिख रहा। हालात यह हैं कि लोग घरों का कचरा खुले में फेंकने को मजबूर हो गए हैं।
10 करोड़ के टेंडर भी साबित हुए नाकाम
नगर निगम ने चारों ज़ोन में कूड़ा उठाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसी गाड़ियों के लिए 10 करोड़ रुपये के चार टेंडर जारी किए थे। बावजूद इसके, कूड़े के ढेर जस के तस बने हुए हैं। निगम के जेई और एसडीओ अब सुबह-शाम निगरानी करेंगे, लेकिन जब पर्याप्त वाहन ही नहीं हैं, तो निगरानी से क्या हल निकलेगा?

वाहनों की दरें तय करने की बैठक, लेकिन समाधान नहीं
शुक्रवार को निगम की ओर से एक अहम बैठक हुई जिसमें अतिरिक्त आयुक्त रविंदर यादव की अध्यक्षता में सफाई कार्यों में इस्तेमाल होने वाले वाहनों की दरें तय की गईं. जिसमें ट्रैक्टर-ट्रॉली 45,000 प्रति माह (ड्राइवर, हेल्पर, ईंधन और जीपीएस सहित) और बोलेरो / पिकअप वाहन 51,500 प्रति माह इन्हीं सुविधाओं के साथ तय की गईं.
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि:
- ईंधन की लागत वाहन मालिक या एजेंसी वहन करेगी।
- वाहन का रखरखाव और सभी वैध दस्तावेज़ भी एजेंसी की जिम्मेदारी होगी।
डोर-टू-डोर योजना की समीक्षा, लेकिन ज़मीनी हालात बदतर
नगर निगम ने डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना के अंतर्गत 400 वाहनों का टेंडर पहले से दे रखा है। फिर भी एजेंसियां सही ढंग से काम नहीं कर रही हैं। एक महीने से अधिक समय से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा, जिससे स्थानीय लोग गंदगी और बदबू से परेशान हैं।
