गुरुग्राम नगर निगम (MCG) की सफाई व्यवस्था पर फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। निगम की पोर्टल-आधारित हाजिरी जांच में खुलासा हुआ है कि शहर में सफाई के लिए जिन 4904 कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है, उनमें से 361 कर्मचारी जमीनी स्तर पर मौजूद ही नहीं मिले।

यह खुलासा सिर्फ आंकड़ों की गड़बड़ी नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये के संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
कर्मचारी सूची में 4904 नाम, वार्ड रिकॉर्ड में सिर्फ 4543—361 कर्मचारी हवा में गायब
वार्ड-वार डिप्लॉयमेंट की जांच में पता चला:
- MCG के सिस्टम में दर्ज सफाई कर्मचारी: 4904
- वार्ड स्तर पर वास्तविक तैनाती: 4543
- रिकॉर्ड से गायब कर्मचारी: 361
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन 361 कर्मचारियों की तैनाती का कोई रिकॉर्ड निगम के पास उपलब्ध नहीं, इसके बावजूद हर महीने इनका वेतन जारी किया जा रहा है।
120 कर्मचारी अधिकारियों के घरों में सफाई करते मिले, कई कर्मचारी जिले से बाहर
विभागीय सूत्रों के अनुसार:
- 120 कर्मचारी जिले के प्रशासनिक और MCG अधिकारियों के घरों में तैनात बताए गए।
- 50 से ज्यादा कर्मचारी जिले से बाहर रहकर वेतन ले रहे हैं।
- कुछ कर्मचारियों के नाम तो रिकॉर्ड में हैं, लेकिन उनकी ड्यूटी कहां लगाई गई—इसका कोई उल्लेख नहीं।
हर महीने शहर की सफाई पर 4.5 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद गुरुग्राम की सड़कों पर धूल उड़ना और गंदगी आम बात हो चुकी है।
RWAs ने दी विजिलेंस में शिकायत, पार्षदों का आरोप—घोटाला 700 कर्मचारियों तक पहुंच सकता है
सेक्टर-57 की RWA ने मामले की शिकायत विजिलेंस को भेज दी है।
वार्ड-11 के पार्षद कुलदीप यादव का दावा है कि यह घोटाला कहीं ज्यादा बड़ा है:
“मेरे वार्ड में 100 कर्मचारी भी काम नहीं कर रहे। जांच हो तो लापता कर्मचारियों की संख्या 700 तक पहुंच जाएगी।”
जवाबदेही पर सरकार और MCG दोनों खामोश—प्रस्ताव धरे के धरे
पार्षदों ने सदन में प्रस्ताव रखा था कि:
- सफाई कर्मचारियों की डेली हाजिरी पार्षदों के हस्ताक्षर से दर्ज की जाए
- वार्ड कमेटी बनाई जाए
- आउटसोर्स कर्मचारियों की निगरानी बढ़ाई जाए
लेकिन कर्मचारी यूनियनों की संभावित आपत्तियों का हवाला देकर निगम आयुक्त ने प्रस्ताव को लागू नहीं किया।
पार्षदों का आरोप है कि HKRN के तहत आने वाले कई सफाई कर्मचारी केवल 1–2 घंटे काम कर रहे हैं, और निगरानी का कोई सिस्टम नहीं है।
निगम आयुक्त प्रदीप दहिया बोले—361 कर्मचारियों का पता लगाया जाएगा

निगम आयुक्त प्रदीप दहिया ने स्वीकार किया कि मामला गंभीर है:
“361 कर्मचारियों के गायब होने की जांच शुरू कर दी गई है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।”
गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था में ‘सिस्टमेटिक फेलियर’?
यह मामला सिर्फ कर्मचारियों की अनुपस्थिति का नहीं, बल्कि पारदर्शिता, निगरानी और सिस्टम की नाकामी का है।
जब करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद शहर का हाल बेहाल हो, और कर्मचारी रिकॉर्ड से ही गायब मिलें—तो सवाल उठना लाज़मी है।
