गुड़गांव की शिकोहपुर ज़मीन डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह केस साल 2008 में हुई उस जमीन डील से जुड़ा है जिसमें वाड्रा की कंपनी Skylight Hospitality ने शिकोहपुर गांव की करीब 3 एकड़ ज़मीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी और कुछ ही महीनों में इसे DLF को ₹58 करोड़ में बेच दिया गया।
ईडी को शक है कि इस डील में बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी हुई।
जांच एजेंसी ने अब तक रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनी की 43 संपत्तियों को अटैच कर लिया है, जिनकी कुल कीमत करीब ₹37.6 करोड़ बताई जा रही है।
यह मामला पहली बार 2012 में तब सुर्खियों में आया था, जब उस वक्त के तेजतर्रार IAS अधिकारी अशोक खेमका ने जमीन की म्यूटेशन को रद्द कर दिया था। बता दें कि खेमका को 34 साल की नौकरी में 57 बार ट्रांसफर झेलना पड़ा, जिनमें यह फैसला एक अहम कारण बना।
अब सवाल ये उठता है — आखिर जांच और चार्जशीट दाखिल होने में 13 साल क्यों लग गए?
इस अवधि में न केवल सरकारें बदलीं, बल्कि राजनीतिक समीकरण भी कई बार उलटे।
वाड्रा से पूछताछ भी की गई, लेकिन अब जाकर ईडी ने केस में चार्जशीट दाखिल की है, जिससे केस ने एक नया मोड़ ले लिया है।
