गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (GMDA) के पर्यावरण विभाग में करीब 25 से 30 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच शुरू हो चुकी है। यह कार्रवाई GMDA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्यामल मिश्रा के निर्देश पर की जा रही है। जांच की ज़िम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्वजीत चौधरी को दी गई है।

शिकायत में क्या-क्या आरोप लगाए गए हैं?
शिकायतकर्ता लोकेंद्र शर्मा (शांति नगर कॉलोनी) ने आरोप लगाए हैं कि—
- टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर, काम रेट कॉन्ट्रैक्ट पर 40-45% ज़्यादा दरों पर दिया गया।
- कई ठेकेदारों से भारी कमीशन लेकर कार्य करवाए गए।
- CSR के तहत बिना काम के रियल एस्टेट कंपनियों को सर्टिफिकेट दे दिए गए।
- हरित क्षेत्र (ग्रीन जोन) में जाली लगाने और पाइपलाइन बिछाने के नाम पर भारी अनियमितता।
- बहरामपुर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में आरोपी अधिकारी के भतीजे द्वारा अवैध नर्सरी चलाई गई।

जांच में क्या मांगा गया है?
अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि:
- आरोपी अधिकारी के कार्यकाल में रेट कॉन्ट्रैक्ट के तहत हुए सभी कार्यों की जानकारी दी जाए।
- हरित क्षेत्र से जुड़े CSR एमओयू की कॉपी और प्रगति रिपोर्ट पेश की जाए।
- शोधित पानी की पाइपलाइन से जुड़े सभी टेंडर और चालू स्थिति की जानकारी मांगी गई है।
क्या बोले GMDA अधिकारी?
GMDA सूत्रों के अनुसार, अगर शिकायत सही पाई जाती है, तो विभागीय कार्यवाही और पुलिस FIR तक की कार्रवाई की जा सकती है।
क्यों है मामला गंभीर?
यह घोटाला केवल वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि शहर के हरित क्षेत्र और पर्यावरणीय विकास से भी जुड़ा है। CSR की राशि और ग्रीन प्रोजेक्ट्स की साख पर भी सवाल उठे हैं।
