दिल्ली-एनसीआर में कचरे के पहाड़ जल्द ही खत्म हो सकते हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अब हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण में लैंडफिल साइट्स के कचरे का इस्तेमाल करेगा।

अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (UER-2) के निर्माण में गाजीपुर लैंडफिल साइट से 10 लाख टन कचरा प्रयोग करने के बाद यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा। अब इसी मॉडल को बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर भी अपनाया जाएगा।
UER-2 में 10 लाख टन कचरे का इस्तेमाल, सड़क बनी बेहद मजबूत
दिल्ली के तीसरे रिंग रोड के रूप में जाने जाने वाले UER-2 की लंबाई 75 किलोमीटर है। निर्माण के दौरान मिट्टी की बजाय कचरे की परतें डालकर जमीन को बराबर किया गया।
निर्माण पूरा होने के बाद ट्रैफिक लोड टेस्ट किया गया। तेज बारिश के बावजूद सड़क कहीं से भी नहीं दबी और कोई दरार तक नहीं आई।
बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर बड़ा असर
गुरुग्राम की बंधवाड़ी लैंडफिल साइट एनसीआर के सबसे बड़े कूड़ा पहाड़ों में से एक है।
- कुल क्षेत्रफल: 30 एकड़
- कचरे की कुल मात्रा (2008): 30.43 लाख मीट्रिक टन
- वर्तमान कचरा: 12.5 लाख मीट्रिक टन
- नया रोज़ाना आने वाला कचरा: 2200 मीट्रिक टन
कचरे के इस्तेमाल से बंधवाड़ी की सफाई में तेजी आएगी और फरवरी 2026 तक लैंडफिल को खाली करने का लक्ष्य है।
दिल्ली-एनसीआर में इन हाईवे पर होगा कचरे का इस्तेमाल
NHAI के मुताबिक आने वाले समय में कई बड़े हाईवे और एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स में बंधवाड़ी और गाजीपुर का कचरा इस्तेमाल होगा:
- एम्स से महिपालपुर तक नया एक्सप्रेसवे
- महिपालपुर से गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड
- दिल्ली-अलवर हाईवे का चौड़ीकरण
जहां भी सड़क निर्माण के दौरान जमीन बराबर करने की जरूरत होगी, वहां आसपास की लैंडफिल साइट्स का कचरा डाला जाएगा।
NHAI का बयान
हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री:
“UER-2 में 10 लाख टन कचरे का इस्तेमाल किया गया और सड़क की मजबूती पर कोई असर नहीं पड़ा। आगे जहां भी जरूरत होगी, हाईवे निर्माण में कचरे का प्रयोग किया जाएगा।”
गुरुग्रामवासियों को मिलेगा फायदा
- बंधवाड़ी के कचरे के पहाड़ होंगे खत्म
- आस-पास की बदबू और प्रदूषण से मिलेगी राहत
- हाईवे निर्माण में समय और लागत दोनों की बचत
