गुरुग्राम के साइबर सिटी में अब सीवेज स्लज से कंप्रेस्ड बायोगैस (Bio-CBG) तैयार होगी। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) इस बायोगैस को कंपनियों को बेचेगा, जिससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्राधिकरण की आय में भी इजाफा होगा।

धनवापुर में जीएमडीए ने 100 एमएलडी क्षमता वाले मेन पंपिंग स्टेशन, 100 एमएलडी का अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और बायो-सीबीजी प्लांट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। परियोजना के संचालन और रखरखाव का कार्य 10 वर्षों तक किया जाएगा और इसके लिए 166 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से टेंडर जारी किए गए हैं।
दो साल में पूरा होगा काम
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को 24 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल धनवापुर एसटीपी की क्षमता 218 एमएलडी है, जिसे इस परियोजना के तहत बढ़ाकर 318 एमएलडी किया जाएगा। नई SBR (Sequencing Batch Reactor) तकनीक पर आधारित यह एसटीपी, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता का ट्रीटेड पानी तैयार करेगा। यह पानी बागवानी और अन्य गैर-पीने योग्य कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

हर दिन 5,000 क्यूबिक मीटर बायोगैस
बायो-सीबीजी प्लांट में सीवेज स्लज को ऊर्जा में बदला जाएगा। यह प्लांट प्रतिदिन 5,000 क्यूबिक मीटर बायोगैस उत्पादन करने में सक्षम होगा, जिसे शहर की गैस वितरण कंपनियों को सप्लाई किया जाएगा।
जीएमडीए अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना न केवल गुरुग्राम में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट को बढ़ावा देगी, बल्कि अक्षय ऊर्जा उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। इससे जल स्रोत साफ होंगे और पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
नए गुरुग्राम में सीवेज समस्या का समाधान
परियोजना के तहत सेक्टर 81 से 104 तक का सीवेज धनवापुर एसटीपी में शोधन किया जाएगा। इससे खुले में सीवेज डिस्चार्ज की समस्या खत्म होगी और ड्रेनेज नेटवर्क पर दबाव कम होगा। दिसंबर 2027 तक परियोजना पूर्ण करने का लक्ष्य है।
मौजूदा समय में सीवर नेटवर्क पर अधिक लोड और प्लांट की कम क्षमता के कारण पुराने और नए गुरुग्राम में सीवर ओवरफ्लो की समस्या बनी हुई है, खासकर मानसून में यह परेशानी बढ़ जाती है। नया प्लांट बनने के बाद इस समस्या से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
