गुरुग्राम जिसे स्मार्ट सिटी और कॉर्पोरेट हब कहा जाता है, अब भी कचरे और गंदगी से जूझ रहा है।स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में गुरुग्राम देश में 41वें और हरियाणा में सिर्फ 7वें स्थान पर रहा।पिछले साल 140वें पर था, सुधार जरूर हुआ — लेकिन क्या 41वां रैंक एक मेट्रो सिटी के लायक है? करनाल और सोनीपत जैसे छोटे शहरों ने गुरुग्राम को पछाड़ दिया!

कागज़ों में सफाई, सड़कों पर धूल
नगर निगम लाख दावे करे, लेकिन गुरुग्राम की गलियां, सड़कों के किनारे और कचरा पॉइंट्स आज भी बदहाल हैं। “सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ” जैसे स्लोगन चल रहे हैं, लेकिन रिज़ल्ट ज़मीन पर नज़र नहीं आ रहे।
लोग पूछ रहे हैं:
“कब तक सिर्फ सर्वे की रैंकिंग में सुधार से खुश होंगे? असली साफ़-सफाई कब दिखेगी?”

अधिकारियों की रैली, लेकिन असर फीका
नगर निगम आयुक्त प्रदीप दहिया और पूरी टीम सफाई अभियान में लगे हैं, लेकिन नतीजा शहर फिर भी टॉप 10 से कोसों दूर रहा है.
सोशल मीडिया पर लोगों की शिकायतें बता रही हैं कि
- कचरा उठाने में देरी
- नालियों की सफाई अधूरी
- सार्वजनिक स्थलों पर बदबू और गंदगी आम है।
गुरुग्राम की रैंकिंग शर्मिंदगी या चेतावनी?
देश के 4500+ शहरों के बीच 41वां नंबर कोई जीत नहीं, बल्कि एक चेतावनी है अगर अब भी नहीं सुधरे तो अगली बार और खराब नतीजे रहे है।
