गुरुग्राम के DLF फेज-1 से लेकर फेज-5 तक के रिहायशी इलाकों में अवैध निर्माण और मकानों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। अदालत ने सभी पक्षों को रिजाइंडर फाइल करने के लिए समय दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 23 सितंबर 2025 तय की गई है।

क्या इस बार आ सकता है निर्णायक फैसला?
कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो इस दिन कोर्ट इस लंबे समय से चल रहे विवाद में कोई बड़ा निर्णय सुना सकता है।
हाईकोर्ट के आदेशों पर बनी रहेगी यथास्थिति
पहली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे, जो अगली सुनवाई तक लागू रहेंगे।

राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने हाईकोर्ट के आदेशों को पूरी तरह उचित ठहराया, और खासतौर पर EWS मकानों में अवैध निर्माण को लेकर गंभीर सवाल उठाए।
अब तक क्या हो चुका है?
- 4 अप्रैल को विभिन्न RWAs और निवासियों द्वारा 16 स्पेशल लीव पिटीशन दायर की गई थीं।
- DLF कुतुब एन्क्लेव फेज-3 और फेज-5 के निवासी इस मामले के प्रमुख पक्षकार हैं।
- DTPE अमित मधोलिया ने अब तक 4500 से ज्यादा मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।
- 2200 मकानों के ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट रद्द किए गए और बिजली, पानी व सीवर कनेक्शन काटने की सिफारिश की गई है।
अब सबकी निगाहें 23 सितंबर पर
अब देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में इस विवाद पर क्या निर्णायक कदम उठाया जाता है। फिलहाल, लाखों लोगों की नजरें इस पर टिकी हैं कि उन्हें अपने घरों को लेकर क्या राहत मिलती है या कोई सख्त कार्यवाही उनका इंतजार कर रही है।
