ओल्ड गुरुग्राम में जल्द मेट्रो का नया रूप दिखेगा। जिस दूसरे चरण को अब तक भूमिगत बनाने की चर्चा थी, उसे जीएमआरएल ने अध्ययन के बाद एलिवेटेड रखने का फैसला कर दिया है। यह निर्णय लागत, समय और ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। जल्द ही इस संबंध में शहरी एवं आवास मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी।

पहले चरण में तेजी, 15.3 किमी पर निर्माण शुरू
31.5 किमी लंबे ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो प्रोजेक्ट में 15.3 किमी हिस्से का टेंडर जारी किया जा चुका है और निर्माण कार्य गति पकड़ चुका है।
जीएमआरएल अधिकारियों के अनुसार अगले 30 दिनों के भीतर दूसरे चरण के टेंडर भी जारी कर दिए जाएंगे। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
क्यों छोड़ा भूमिगत विकल्प?
अधिकारियों के अनुसार यदि मेट्रो को भूमिगत बनाया जाता, तो परियोजना की लागत करीब दोगुनी हो जाती।
साथ ही भूमिगत स्टेशन बनाने के दौरान सड़कों को उखाड़ने की आवश्यकता पड़ती, जिससे लंबे समय तक भारी जाम लगता और नागरिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता।
उद्योग मंत्री ने दिया था प्रस्ताव
उद्योग राज्यमंत्री राव नरबीर सिंह ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर दूसरे चरण को भूमिगत करने की मांग की थी। उनका कहना था कि जिन सड़कों पर मेट्रो गुजरनी है, वहां चौड़ाई सिर्फ 30 मीटर है। ऐसे में एलिवेटेड निर्माण होने पर तीन साल तक ट्रैफिक दबाव बढ़ेगा।
जीएमआरएल ने मंत्री के प्रस्ताव पर अध्ययन किया, लेकिन अंत में एलिवेटेड मॉडल को ही व्यावहारिक और किफायती माना।
जनवरी से दिखने लगेंगे पिलर
अधिकारियों का कहना है कि जनवरी से शहर में मेट्रो पिलर नजर आने लगेंगे। महीने के अंत तक लगभग 35 पिलर खड़े हो जाएंगे।
सेक्टर-33 में स्थित कास्टिंग यार्ड में यू-गार्डर और अन्य संरचनाओं का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। प्रोजेक्ट को तय समय से पहले पूरा करने का लक्ष्य है।
ट्रैफिक प्लान तैयार, शहर को नहीं होगी दिक्कत
मेट्रो निर्माण के दौरान वाहन चालकों को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए यातायात पुलिस और विशेषज्ञों के साथ मिलकर डायवर्जन प्लान तैयार किया जा रहा है।
यातायात मार्शल तैनात किए जाएंगे और निर्माण एजेंसी को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
